भारत में Mental health awareness क्यों उफान पर है?
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पिछले कुछ वर्षों में, भारत में (Mental health awareness) मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। यह एक स्वागत योग्य बदलाव है, क्योंकि मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं हमारे समाज के एक बड़े हिस्से को प्रभावित करती हैं। चाहे वह तनाव, चिंता, अवसाद हो या अधिक गंभीर मानसिक विकार, इन मुद्दों को अब अनदेखा नहीं किया जा सकता। लेकिन यह जागरूकता अचानक क्यों बढ़ रही है? इस ब्लॉग पोस्ट में, हम उन प्रमुख कारणों की गहराई से जांच करेंगे जो भारत में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ावा दे रहे हैं, और यह हमारे समाज के लिए क्या मायने रखता है।
1. मानसिक बीमारी की उच्च प्रसार
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भारत में (Mental health awareness) मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की व्यापकता चौंकाने वाली है। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार, लगभग 15% भारतीय वयस्कों को एक या अधिक मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए सक्रिय हस्तक्षेप की आवश्यकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है कि भारत में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का बोझ 2443 अक्षमता-समायोजित जीवन वर्ष (DALYs) प्रति 100,000 जनसंख्या है। इसके अलावा, भारत में आत्महत्या की दर 2015 में 15.7 प्रति 100,000 थी, जो क्षेत्रीय और वैश्विक औसत से अधिक है। इस उच्च प्रसार ने नीति निर्माताओं, स्वास्थ्य पेशेवरों और समुदायों को मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने के लिए मजबूर किया है।
2. कलंक को कम करने के प्रयास
मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा कलंक लंबे समय से एक बड़ी बाधा रहा है। कई लोग शर्मिंदगी या सामाजिक अस्वीकृति के डर से मदद मांगने से हिचकिचाते हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में, इस कलंक को कम करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं। बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने अपनी अवसाद की लड़ाई के बारे में खुलकर बात की और लाइव लव लाफ फाउंडेशन की स्थापना की, जो मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ावा देता है। इसी तरह, सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु ने 2020 में मानसिक स्वास्थ्य पर व्यापक चर्चा को प्रेरित किया, जिससे लोगों को इस विषय पर खुलकर बात करने की प्रेरणा मिली।
3. सरकारी पहल
भारत सरकार ने मानसिक स्वास्थ्य देखभाल को बेहतर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। राष्ट्रीय टेली-मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (टेली मैनस), जिसे 2022 में लॉन्च किया गया, 24x7 टेली-काउंसलिंग सेवाएं प्रदान करता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बढ़ी है। इसके अलावा, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NMHP) और जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (DMHP) समुदाय स्तर पर सेवाएं प्रदान करते हैं। ये पहल न केवल उपचार तक पहुंच बढ़ाती हैं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता भी फैलाती हैं।
4. COVID-19 महामारी का प्रभाव
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COVID-19 महामारी ने मानसिक स्वास्थ्य पर वैश्विक स्तर पर गहरा प्रभाव डाला है। भारत में, लॉकडाउन, आर्थिक अनिश्चितता और सामाजिक अलगाव ने तनाव, चिंता और अवसाद के मामलों को बढ़ा दिया। एक अध्ययन के अनुसार, 2020 में भारत में क्लिनिकली महत्वपूर्ण अवसाद और चिंता विकारों की प्रसार में लगभग 35% की वृद्धि हुई। इस संकट ने मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को उजागर किया और जागरूकता अभियानों को गति दी।
5. मानसिक स्वास्थ्य साक्षरता पर ध्यान
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मानसिक स्वास्थ्य साक्षरता में सुधार के लिए कई अभियान और शैक्षिक कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। ये पहल लोगों को मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लक्षणों, कारणों और उपचार के बारे में शिक्षित करती हैं। उदाहरण के लिए, लाइव लव लाफ फाउंडेशन का 2018 का सर्वेक्षण दर्शाता है कि 87% शहरी प्रतिभागियों ने मानसिक बीमारियों से संबंधित शब्दों का उपयोग किया, लेकिन केवल 2% ने स्वयं के मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को स्वीकार किया। यह अंतर जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता को दर्शाता है।
6. सोशल मीडिया की भूमिका
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सोशल मीडिया ने (Mental health awareness) मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ाने में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। इंस्टाग्राम, X और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर प्रभावशाली लोग, मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर और संगठन जानकारी, संसाधन और व्यक्तिगत कहानियां साझा करते हैं। एक अध्ययन के अनुसार, सोशल मीडिया बड़े पैमाने पर संचार का एक समृद्ध स्रोत बन गया है, जो कम समय में लाखों लोगों तक पहुंच सकता है। हैशटैग, चैलेंज और वायरल सामग्री ने विशेष रूप से युवा पीढ़ी को इस मुद्दे से जोड़ा है।
7. एनजीओ की गतिविधियाँ
गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) (Mental health awareness) मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता और सेवाओं को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। MINDS फाउंडेशन ग्रामीण भारत में कलंक को खत्म करने और लागत-प्रभावी देखभाल प्रदान करने पर केंद्रित है। इसी तरह, लाइव लव लाफ फाउंडेशन जैसे संगठन जागरूकता अभियान चलाते हैं और समर्थन सेवाएं प्रदान करते हैं। ये प्रयास विशेष रूप से उन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण हैं जहां सरकारी संसाधन सीमित हैं।
8. स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा
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शैक्षिक संस्थान मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को तेजी से पहचान रहे हैं। सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) स्कूलों में काउंसलर नियुक्त करने और छात्रों के आत्म-सम्मान और दबाव झेलने की क्षमता को बढ़ाने के लिए मनोवैज्ञानिक अभ्यासों की सिफारिश करता है। स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा को शामिल करना युवाओं में जागरूकता और लचीलापन विकसित करने में मदद कर रहा है।
9. उच्च-प्रोफ़ाइल मामले
कुछ उच्च-प्रोफ़ाइल घटनाओं ने मानसिक स्वास्थ्य को राष्ट्रीय चर्चा का विषय बना दिया है। सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु ने 2020 में मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या की रोकथाम पर व्यापक बहस छेड़ दी। इस घटना ने मीडिया और सोशल मीडिया पर व्यापक कवरेज प्राप्त किया, जिसने लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में खुलकर बात करने के लिए प्रेरित किया।
निष्कर्ष
भारत में (Mental health awareness) मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता में वृद्धि कई कारकों का परिणाम है: उच्च प्रसार की मान्यता, कलंक को कम करने के प्रयास, सरकारी और गैर-सरकारी पहल, महामारी का प्रभाव, साक्षरता पर ध्यान, सोशल मीडिया की शक्ति, एनजीओ की सक्रियता, शैक्षिक सुधार, और उच्च-प्रोफ़ाइल घटनाएं। ये सभी मिलकर एक ऐसे समाज की ओर ले जा रहे हैं जहां मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लिया जाता है, और जरूरतमंद लोगों को समर्थन और उपचार मिलता है। इस बदलाव को और मजबूत करने के लिए, हमें निरंतर शिक्षा, नीतिगत सुधार और सामुदायिक सहयोग की आवश्यकता है।
संदर्भ:
- Mental health awareness: The Indian scenario
- How India Perceives Mental Health
- Mental health - India - WHO
- Celebs who normalised mental health conversation
- Tele Mental Health Assistance (Tele-MANAS)
- Social media for mental health awareness
- The MINDS Foundation
- Mental health education in schools
- Sushant Singh Rajput’s death and mental health